मन कविता का भावार्थ और अर्थ | Class 10 Hindi
प्रस्तुत कविता ‘मन‘ जापान की लोकप्रिय विधा ‘हाइकु’ पर आधारित है। यह विधा हिंदी साहित्य में स्वीकृति चुकी है। इस विधा को विश्व की सबसे छोटी कविता का स्थान प्राप्त है। इस कविता में कवि ने तीन-तीन छोटी पंक्तियों में अलग-अलग घटनाओं को सुंदर ढंग से पिरोया है। प्रस्तुत कविता की यह अपनी विशेषता है।
मन कविता Class 10 (हिंदी स्वाध्याय)
घना अँधेरा
चमकता प्रकाश
और अधिक।
करते जाओ
पाने की मत सोचो.
जीवन सारा ।
जीवन नैया
मँझधार में डोले,
सँभाले कौन ?
रंग-बिरंगे
रंग-संग लेकर
आया फागुन ।
काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा ।
भीतरी कुंठा
आँखों के द्वार से
आई बाहर।
खारे जल से
धुल गए विषाद
मन पावन ।
मृत्यु को जीना
जीवन विष पीना
है जिजीविषा ।
मन की पीड़ा
छाई बन बादल
बरसीं आँखें।
चलतीं साथ
पटरियाँ रेल की
फिर भी मौन ।
सितारे छिपे
बादलों की ओट में
सूना आकाश
तुमने दिए
जिन गीतों को स्वर
हुए अमर ।
सागर में भी
रहकर मछली
प्यासी ही रही।
मन कविता का भावार्थ (Man Kavita Explanation)
घना अंधेरा…………….आई बहार।
जब अँधेरा घना होता है, तब प्रकाश और अधिक चमकता है। अर्थात जब प्रतिकूल परिस्थितियाँ घने अंधकार के रूप में हमें घेर लेती हैं, तब वहीं से एकाएक प्रकाश की किरणें फूट पड़ती हैं।
हमें पूरा जीवन काम करते रहना चाहिए। यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें क्या प्राप्त होगा।
जीवन रूपी नैया यदि संसार रूपी सागर में डगमगा रही है, तो उसे कोई अन्य सँभालने के लिए नहीं आएगा। हमें स्वयं उसे पार लगाने के लिए प्रयास करना होगा।
फागुन का महीना अपने संग बसंत के विविध रंग लेकर आया है। यह समय उल्लास और उमंग का समय है। अतः हम सभी को कुछ समय के लिए चिंताओं और परेशानियों को भूलकर बसंत ऋतु का आनंद लेना चाहिए।
गुलाब का फूल काँटों के बीच भी हँसता है, खिलखिलाता है। वह हमें हर पल प्रेरणा देता है कि परेशानियों से घबराए बिना अपना काम करते जाना है।
जब नेत्रों से अश्रु बहते हैं, तो यह मानना चाहिए कि मन की कुंठा नयन रूपी द्वार से बाहर आ रही है।
खारे जल……………………प्यासी ही रही।…
जब नेत्रों से अश्रु बहते हैं तो यह समझना चाहिए कि आँसुओं के खारे जल के साथ मन का संपूर्ण विषाद धुल गया है और मन पहले के समान पावन हो गया है।
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अनेक परेशानियाँ हैं, चिंताएँ हैं, और हैं अप्रिय प्रसंग। ऐसे में जीवन रूपी संग्राम में डटे रहना हमारी जिजीविषा का प्रमाण है।
जब आकाश में बादल बहुत घने होते हैं, तभी वर्षा होती है। उसी प्रकार जब मन की पीड़ा बहुत गहरी हो जाती है, तो वह बादल बनकर आँसुओं के रूप में बरसने लगती है।
रेल की पटरियाँ अनंत काल से साथ चल रही हैं, परंतु वे सदा मौन रहती हैं। एक-दूसरे से कभी बात नहीं करतीं।
सितारे आकाश का शृंगार हैं। वे आकाश की शोभा बढ़ाते हैं। जैसे ही सितारे बादलों की ओट में छिपे, आकाश सूना हो जाता है। ठीक इसी प्रकार कुछ लोग हमारे जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण होते हैं। उनके चले जाने पर या विमुख हो जाने पर मानो हमारा जीवन निरर्थक हो जाता है।
कवि के अंदर अनोखी सामर्थ्य होती है। वह जिन गीतों को स्वर देता है, वे अमर हो जाते हैं। इसी प्रकार कवि अपनी रचनाओं के द्वारा समाज में परिवर्तन ला सकता है।
सागर में अथाह जलराशि होती है, परंतु खारा होने के कारण अथाह होने पर भी वह जलराशि पीने योग्य नहीं होती। उसी प्रकार कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा या धनवान क्यों न हो, यदि वह किसी जरूरतमंद के काम नहीं आ सकता तो उसका बड़प्पन व्यर्थ है।
Last Word
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