क्या आपको पता है कि karak ke kitne bhed hote hain ? और कारक किसे कहते हैं ? अगर आप यह खोज रहे हैं तो आप सही जगह पर आए हो. आज हम karak ki paribhasha जानेंगे और कारक चिन्ह का प्रयोग कैसे करना है वह भी जानेंगे.
आपका इस वेबसाइट पर स्वागत है मित्रों, हम इस वेबसाइट द्वारा आपको हिंदी में जानकारी प्रदान करते हैं. अगर आपके मन में कोई सवाल आता है तो आप कमेंट कर सकते हो.
कारक किसे कहते हैं?
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध दिखाया जाए, उसे कारक कहते हैं. कारक को परसर्ग या विभक्ति भी कहते हैं.
उम्मीद है आपको पता चल गया होगा कि कारक किसे कहते हैं.
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कारक के कितने भेद होते हैं – karak ke kitne bhed hote hain
कारक के आठ भेद होते हैं. वह है कर्ता कारक, कर्म कारक, करण कारक, संप्रदान कारक, अपादान कारक, संबंध कारक, अधिकरण कारक और संबोधन कारक.
अब हम karak ki paribhasha और उदाहरण जानेंगे.
1. कर्ता कारक – Karta Karak
कर्ता कारक वह है जो वाक्य में क्रिया या कार्य करता है, मतलब क्रिया या कार्य करने वाले को कर्ता कारक कहते हैं.
जैसे:- रहमान ने गाय को मारा.
इस उदाहरण में “रहमान” कर्ता कारक है. क्योंकि रहमान क्रिया या कार्य कर रहा है.
2. कर्म कारक – Karma Karak
कर्म कारक वह है जिस पर किराया कार्य का प्रभाव पड़ता है.
जैसे – मानूनी सिर्चन को पान दिया.
इस उदाहरण में “पान” कर्म कारक है क्योंकि स्क्री आया कार्य का प्रभाव पान पर पढ़ रहा है.
3. करण कारक – Karan Karak
करण कारक हुआ है जिसकी सहायता से किया या कार्य होता है.
जैसे – सिरचन ने कुश से आसनी बनाई.
इस उदाहरण में “से” एक करण कारक है क्योंकि से की वजह से ही क्रिया या कार्य हो रहा है.
4. संप्रदान कारक – Sampradan Karak
जिसके लिए कार्य या क्रिया की जाती है वह संप्रदान कारक होता है.
जैसे – करामत गाय के लिए साहनी तैयार करने लगा.
इस उदाहरण में “के लिए” संप्रदान कारक है क्योंकि यह कार्य गाय के लिए हो रहा है.
5. अपादान कारक – Apadan Karak
अपादान कारक उसे कहते हैं जिसमें किसी वस्तु के दूर हटाने या अलग होने का बोध हो.
जैसे – गौशाला घर से 2 किलोमीटर दूर है.
इस उदाहरण में “से” अपादान कारक है क्योंकि इस उदाहरण में घर से गौशाला तक की दूरी बताई गई है.
6. संबंध कारक – Sambandh Karak
इस कारक के नाम से ही आपको पता चल गया होगा कि यह कौन सा और क्या है, संबंध कारक उसे कहते हैं जिससे संज्ञा का किसी अन्य संज्ञा से संबंध प्रकट होता है.
जैसे – लक्ष्मी ज्ञान सिंह की निशानी थी.
इस उदाहरण में “की” संबंध कारक है चौकी इस वाक्य में एक संज्ञा का दूसरे संज्ञा के साथ संबंध दिखाया गया है.
7. अधिकरण कारक – Adhikaran Karak
अधिकरण कारक उसे कहते हैं जिस शब्द से क्रिया या कार्य के आधार का बोध होता है.
जैसे – करामत अली ने लक्ष्मी की पीठ पर दवा लगाई.
इस उदाहरण में “पीठ पर” अधिकरण कारक है क्योंकि यह शब्द क्रिया या कार्य के आधार का बोध करता है.
8. संबोधन कारक – Sambodhan Karak
जिस शब्द के द्वारा किसी को पुकारा जाए उसे संबोधन कारक कहते हैं.
जैसे – अरे प्रेमा! जरा पान भिजवाना.
इस उदाहरण में “अरे” एक संबोधन कारक है क्योंकि यह ऐसा शब्द है जो किसी को पुकारता है.
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निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए :
अगर आपको पता चल गया है कि karak ki paribhasha क्या है और karak ke kitne bhed hote hain तो आप नीचे दिए गए सवालों का जवाब देकर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं।
- लक्ष्मी ने चारा खा लिया है।
- सिरचन छत पर गया है।
- मानू का दूल्हा इधर आ रहा है।
- अखबार में यह समाचार छपा है।
- माँ ने सिरचन को खाना दिया।
- इंदौर से हम गोवा गए।
- करामत ने गाय के लिए सानी तैयार की।
- उमा ने यह पेंटिंग बनाई है।
- सोनाबाई का लड़का मेज पर चढ़ गया।
- रमजानी ने लक्ष्मी की पीठ सहलाई।
- घर में दो पत्रिकाएँ मँगाते थे मेरे पितामह।
Conclusion – निष्कर्ष
आशा करता हूं आप को पता चल गया होगा कि karak ke kitne bhed hote hain और कारक किसे कहते हैं. अगर आपके मन में कारक के कितने भेद होते हैं इसके रिलेटेड कोई सवाल है तो आप मुझे नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं. मैं आपके सवाल का जवाब देने के लिए पूरी कोशिश करूंगा.