क्या आप लोग नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध खोज रहे हैं? अगर हां, तो आप सही जगह पर आए हो. आज के इस पोस्ट के द्वारा हम आपको नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध बताएंगे। Nadi Ki Aatmakatha Hindi Nibandh यह Class 3, Class 4, Class 5, Class 6, Class 7, Class 8, Class 9, Class 10 के बच्चों के लिए है।
सबसे पहले आपका स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट TechnicalSanatan.com पर ऐसे ही जानकारियों के लिए हमारे वेबसाइट की बेल आइकन जरूर दबाएं।
नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध – Autobiography Of River in Hindi
- How to write letter in hindi – types of letter
- Dakshin Bharat ki Ganga Kise Kahte
- क से ज्ञ तक वर्णमाला
- Arts Stream कौनसी जॉब मिलती है ?
पर्वत से निकलकर कल-कल ध्वनि करती बहती पर्वतराज हिमालय की पुत्री मैं गंगा नदी हैं। लोग मुझे अत्यंत पावन मानते हैं। बाल्यकाल में मैं बहुत नटखट थी।
नदी से है पानी की आस,
नदी बचाने का करो प्रयास.
मेरा बचपन पर्वत के घने जंगलों तथा हरी-भरी घाटियों में बीता। वहीं मैं बड़ी हुई। चैन से बैठना मेरा स्वभाव ही नहीं है। नए-नए स्थान देखने का मेरा शौक मुझे अपने पिता की प्यार भरी गोद से दूर मैदानों में ले आया। उस समय मेरा जल दर्पण के समान स्वच्छ था।
भविष्य को सुरक्षित बनाओ,
चलो नदियों को बचाओ.
पर्वत से नीचे उतरकर अथाह जलराशि के कारण मेरा विस्तार बढ़ा, परंतु मेरी गति धीमी हो गई। धीरे-धीरे समय बीतता गया, मेरे किनारों पर गाँव और नगर बसने लगे। इलाहाबाद, बनारस, कोलकाता आदि नगर मेरे कारण ही विशेष माने जाते हैं।
नदी है तो पानी है,
पानी है तो जीवन है.
लोग मेरा जल पीने, खाना बनाने, नहाने-धोने और खेतों की सिंचाई आदि विभिन्न कामों में लाते हैं। पशु-पक्षी भी मुझसे जल प्राप्त करते हैं।
अब हमने यह ठाना है,
नदियों को बचाना है
समय के साथ-साथ गाँवों और नगरों की उन्नति हुई। वहाँ अनेक परिवर्तन हुए। मेरे तटों पर घाट बनाए गए। नए-नए उद्योग धंधे विकसित होने लगे। मुझ पर बाँध बाँधे गए। मुझसे नहरें निकाली गईं।
नदियों को बचाकर रखिये,
प्रकृति की रक्षा कीजिये.
लोक कल्याण करना ही मेरे जीवन का उद्देश्य है। परंतु जब कभी बहुत अधिक वर्षा होती है, तब मेरा जल स्तर बढ़ जाने से मुझमें बाढ़ आ जाती है।
जब नदियों को बचाओगे
तभी समझदार कहलाओगे.
मेरे किनारे बसे हुए गाँव और नगर, खेत और पशु सब बाढ़ में बह जाते हैं। मुझे तब बहुत दुख होता है। परंतु प्रकृति के आगे में विवश हूँ।
चलो अब कुछ नाम करे,
नदी बचाने का काम करे.
मेरी जलधारा सदैव बहती रहती है। प्रत्येक जीव-जंतु को सुखी बनाती हुई, मैदानों को उपजाऊ बनाते हुए, हजारों, लाखों लोगों को एकता के सूत्र में बाँधकर लगभग ढाई हजार किलोमीटर की यात्रा करके अंत में मैं सागर में विलीन हो जाती हूँ।
Conclusion – निष्कर्ष
आशा करता हूं की मैंने जो आपको नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध पर निबंध बताया वह आपको पसंद आया होगा अगर नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध आपको पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
और अगर आपकी मन में कोई सवाल है तुम मुझे कमेंट में जरूर पूछें। मैं आपके सवाल का जवाब जरूर दूंगा।
good information
Thank U 🙂